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Showing posts from October, 2023

🙏 जय माँ मुंडेश्वरी 🙏

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             ।माता मुंडेश्वरी मंदिर बिहार। बिहार प्राचीन काल से समृद्ध संस्कृति वाला राज्य रहा है। रामायण काल से लेकर महाभारत तक में बिहार का जिक्र आया है। कई धर्मों का जन्म भी इस राज्य से हुआ है। इसी राज्य में एक प्राचीन मंदिर कैमूर जिले में स्थित है। इस मंदिर का संबंध मार्केण्डेय पुराण से भी है जिसमें शुंभ-निशुंभ के सेनापति चण्ड और मुण्ड के वध की कथा मिलती है। देवी के इस मंदिर में प्राचीन शिवलिंग का चमत्कार भक्तों को दिखता है तो माता की अद्भुत शक्ति की झलक भी यहां दिख जाती है।  कहते हैं कि मुगलकाल में बादशाह औरंगजेब द्वारा इस मंदिर को तोड़ने की कोशिश विफल रही थी। मजदूरों को मंदिर तोडऩे के काम में भी लगाया गया। लेकिन इस काम में लगे मजदूरों के साथ अनहोनी होने लगी। तब वे काम छोड़ कर भाग गये। भग्न मूर्तियां इस घटना की गवाही देती हैं। इस मंदिर को दुनिया का सबसे पुराना कार्यात्मक मंदिर माना जाता है, क्योंकि यहां बिना रुके सारे अनुष्ठान पूरे होते हैं।  वैसे तो पूरे वर्ष मां मुंडेश्वरी की पूजा-अर्चना होती है, लेकिन शारदीय व वासंतिक नवरा...

🙏 माँ मंगला भवानी 🙏

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           ।।माँ मंगला भवानी मंदिर उत्तर प्रदेश।। भारत भूमि पर मंदिरों के ऐतिहासिक और पौराणिक महात्म्य का जिक्र जितना करे वह उतना ही कम है। श्री मद्देवीभागवत पुराण में हैं वर्णित- इस तीर्थ स्थल का जिक्र मद्देवीभागवत पुराण में भी किया गया हैं। इस महापुराण में टीका के रुप से लिए गये अंश को पंडित तारकेश्वर उपाध्याय ने सन् 1956 में छपी कामेश्वर धाम नामक पुस्तिका में लिखा है। जब भगवान शिव कारो में जिसे लोग कामेश्वर धाम के नाम से भी जानतें हैं। निवास करने लगें। तब भगवान नारायण भी जगह के महिमा नैसर्गिक छटा से मुग्ध होकर माता लक्ष्मी के साथ यहीं निवास करने लगें। यह माता का दरबार शक्तिपीठों में से एक है। इसी माता का आराधना करके भगवान श्री राम ने तड़का का वध किया था। भगवान श्री राम कारों के कामेश्वर धाम से जब चले तो इस स्थान पर आते-आते भोर हो गया।उसी के कारण इस क्षेत्र का नाम उजियार भरौली पड़ा। क्योंकि भगवान बड़े दुविधा में थे अस्त्र उठाना नहीं चाहते थे।तो उन्होंने यही माता का आराधना किया और माता ने रक्तबीज के वृत्तांत को सुना कर भगवान श्री राम के दुविधा ...

🙏माता शीतला चौंकिया 🙏

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                     ।।माता शीतला चौकिया जौनपुर।। उत्तर प्रदेश में जौनपुर जिले में स्थित पौराणिक शीतला माता चौकिया मंदिर लोगों की आस्था का केंद्र हैं जहां नवरात्रि में विशेष धूम रहती है और बड़ी संख्या में श्रद्धालु अपनी अपनी मुराद लेकर माता के दर्शन को आते हैं।मान्यता है कि अगर किसी को मां विन्ध्यवासिनी का दर्शन करना है तो उसके पहले मां शीतला का दर्शन जरूरी है, उसके बाद ही मां विन्ध्यवासिनी के दर्शन का महत्व है।  सबसे पहले, देवी को एक स्तुति मंच या 'चौकिया' पर स्थापित किया गया होगा और शायद इसी वजह से उन्हें चौकिया देवी कहा जाने लगा। देवू शीतला देवी माँ का प्रतिनिधि आनंदमय पहलू है: इसलिए उन्हें शीतला कहा जाता था। सोमवार और शुक्रवार को यहां काफी संख्या में श्रद्धालु आते हैं। नवरात्र के दौरान यहां भारी भीड़ उमड़ती है। एक कहानी कहती है कि दुर्गा देवी ने दुनिया की सभी अहंकारी दुष्ट राक्षसी ताकतों को नष्ट करने के लिए ऋषि कात्यायन की बेटी छोटी कात्यायनी के रूप में अवतार लिया था, अपने वास्तविक रूप में दु...

🙏 माता चामुंडा 🙏

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बिहार के मुजफ्फरपुर के कटरा में अवस्थित मां चामुंडा मंदिर देश-विदेश में प्रख्यात है। माँ चामुण्डा का यह स्थान बहुत से ऐतिहासिक और पौराणिक कथा के साथ बहुत ही जगता मंदिर हैं, माँ की पूजा के लिए भक्त हमेशा बड़ी संख्या में जाते हैं तथा माँ से मनोवांछित फल की प्राप्ति हेतु विशेष पूजा-पाठ करते हैं और माँ चामुण्डा अपने भक्तो को कभी भी निराश नहीं करती है तथा सभी भक्तो की झोली भर देती है। पौराणिक भारत के कालखंड से ही इस तपोभूमि को बड़ा ही पवित्र और अनेक रहस्यों के साथ जाना जाता है यहाँ माँ का स्वरूप पिंड के भाँति है। यह मां वैष्णवी का स्वरूप है। इसलिये मंदिर में सिर्फ फल और मिष्ठान का भोग लगाया जाता है। रामायण काल से इस मंदिर का महात्म्य माना जाता है कि माँ सीता के पिता राजा जनक जी की कुलदेवी माँ चामुण्डा हैं। पृथ्वी पर चंड-मुंड नामक दो राक्षस भाइयों ने उस काल मे उत्पात मचाना शुरू कर दिया था। उसी दौरान दोनों राक्षसों का वध करने के लिए मां ने अवतार लिया था। कहा जाता है कि कटरा में ही दोनों राक्षसों का वध कर मां ने पृथ्वी को बचाया था। उसी के बाद माता का नाम चामुंडा पड़ा था। यह मंदिर बा...

🙏 माँ विंध्यवासिनी 🙏

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माँ विंध्यवासिनी जी का मंदिर उत्तर प्रदेश के मिर्ज़ापुर में गंगा नदी के बिल्कुल समीप विंध्य की पहाड़ियों में अवस्थित है। माँ के भक्त अपनी मनोकामना पूर्ण करने के लिए मंदिर में माँ देवी की आराधना-पूजा करते हैं। माँ विंध्यवासिनी धाम की महिमा महाभारत काल से है तथा यह अद्वितीय शक्तिपीठ हैं क्योंकि बाकि के शक्तिपीठ में माँ भगवती के किसी न किसी अंग गिरने से शक्तिपीठ बना पर माँ विंध्यवासिनी मंदिर माँ भगवती ने स्वयं के निवास के लिए यह स्थान को चुना था यही कारण है कि यहाँ भक्त बड़े ही आदर भाव से माँ की महिमा का गुणगान करते हैं और अपने हर तरह के कारण का निवारण के लिए माँ के दरबार में अर्जी लगाते हैं और माँ विंध्यवासिनी सबकी मनोकामना को पुर्ण करती है। आने वाले भक्तों को देवी के तीन रूपों देवी लक्ष्मी, देवी सरस्वती और महाकाली के दर्शन एक साथ मिल जाते है। सिद्धि प्राप्ति के लिए भी यह स्थान सर्वश्रेष्ठ माना जाता है। भौगोलिक स्थिति- विंध्यवासिनी का शाब्दिक अर्थ है विंध्याचल में निवास करने वाली माँ विंध्यवासिनी, शिव पुराण के अनुसार विंध्य पर्वत पर निवास करने वाली विंध्यवासिनी को सती भी कहा ...

🙏 माँ थावे वाली 🙏

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बिहार राज्य के गोपालगंज जिला में स्थित शक्तिपीठ माँ दुर्गा की मंदिर है जिन्हें सब "माँ थावे वाली" के नाम से जानते हैं। माँ भगवती का यह मंदिर बहुत ही प्राचीन और ऐतिहासिक है, माँ थावे वाली की महिमा और शक्ति अपरम पार हैं। भक्त माँ थावे वाली की कृपा से लिए सौकडो़ हजारों किलोमीटर की दूरी तय करके माँ के दर्शन के लिए आते हैं तथा माँ भक्तो को मनोवांछित फल देकर उनके कष्ट और पीडा़ को हर लेती है। माँ थावे वाली की महिमा के साथ साथ इसके ऐतिहासिक पृष्टभूमि भी बहुत ही प्रेरणादायक है।  आईए जानते हैं- थावे दुर्गा मंदिर की स्थापना की कहानी काफी रोचक है। चेरो वंश के राजा मनन सिंह खुद को मां दुर्गा का बड़ा भक्त मानते थे, तभी अचानक उस राजा के राज्य में अकाल पड़ गया। उसी दौरान थावे में माता रानी का एक भक्त रहषु था। रहषु के द्वारा पटेर को बाघ से दौनी करने पर चावल निकलने लगा। यही वजह थी कि वहां के लोगों को खाने के लिए अनाज मिलने लगा। यह बात राजा तक पहुंची लेकिन राजा को इस बात पर विश्वास नहीं हो रहा था। राजा रहषु के विरोध में हो गया और उसे ढोंगी कहने लगा और उसने रहषु से कहा कि मां को यहां ब...