देवताओं द्वारा 'माँ भगवती' की स्तुति
जब माँ दुर्गा ने अपने पराक्रम से महिषासुर तथा अन्य दैत्यों का संहार कर दी तब सभी देवताओं ने माँ परमेश्वरी को सर और गर्दन झुका कर प्रणाम करते हुये उनके पराक्रम में बखान करते हुए हृदय से आभार व्यक्त किये।
इसी क्रम में सभी देवताओं ने अनेक नामों द्वारा माँ भगवती का स्तुति किया।
-सम्पूर्ण देवताओं की शक्ति समुदाय ही जिनका स्वरुप है वैसी पूजनीया जगदंबा को हम भक्ति- पुर्वक नमस्कार करते हैं।
-जो पुण्यात्मा के यहाँ लक्ष्मी रुप, पापियों के यहाँ दरिद्रता रुप, शुद्ध अंतःकरण वाले के हृदय में बुद्धिरुप, सत्पुरूष में श्रद्धारूप, कुलीन मनुष्य मे लज्जा रूप में निवास करती है, वैसी भगवती दुर्गा को हम नमस्कार करते हैं।
-देवी! सम्पूर्ण यज्ञों मे जिसके उच्चारण से सब देवता तृप्ति लाभ लेते हैं वो स्वाहा आप हो।
-आप पितरों के कल्याण का कारण आप हो इसलिए सब आपको स्वधा भी कहते हैं।
-मोक्ष की अभिलाषा रखने वाले मुनीजन जिनका अभ्यास करते हैं वो भगवती आप हो।
-जो समस्त शास्रो के सार का ज्ञान होता है वो मेधाशक्ति तथा दुर्गम भवसागर पार करानेवाली नौकारुपी दुर्गा आप हो।
-भगवान विष्णु वक्षस्थल में एकमात्र निवास करने वाली भगवती लक्ष्मी और भगवान चंद्रशेखर द्वारा सम्मानित गौरीदेवी आप ही हो।
-दुष्टों और शत्रुओं पर भी दया करना तथा वर देने वाली वरदायिनी देवी आप हो।
-माँ अम्बिके आप खड्ग से हमारी रक्षा करो।
-हे चण्डिके, हे ईश्वरि हमारी सभी दिशा से रक्षा करे।
इस प्रकार सभी देवताओं ने माँ परमेश्वरी की स्तुति किया, जिससे माँ प्रसन्न होकर देवताओं से वर मांगने को कहा-
इसपर देवताओं ने कहाँ कि जगत में जब भी किसी संकट में देवता, नर-मुनी, ऋषि आये और आपका स्तुति करे तो आप प्रकट होकर उनकी रक्षा करना माँ।
तथास्तु कहकर माँ अंतर्धायन हो गई।
जय माँ परमेश्वरी🙏🚩
आशीष कुमार मिश्र
🙏🙏
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