Posts

Showing posts from July, 2022

अछूत ब्राह्मण

Image
  दलित से भी ज्यादा अछूत " महापात्र / महापातर   ब्राह्मण" भारत देश में परंपरा और श्रद्धा भाव के बीच में कुछ सामाजिक कुरीति भी ऐसे रच-बस गयी हैं कि यह सामाजिक सद्भाव को खराब कर रही है।     वैसे आपने सैकड़ों - हजारों कहानी , समाचार और आपराधिक मामला सुने या देखे होंगें अपने देश में जाति के नाम पर लेकिन बहुत कम लोगों को पता है कि ' नीच जाति ' के नाम पर इस देश में अत्याचार केवल दलित वंचित या आदिवासी पर नहीं हुआ है जबकि अछूत कहकर समाज का सबसे "श्रेष्ठ" कहे जाने वाला ' ब्राह्मण समाज ' के एक वर्ग जिसे "महापात्र ब्राह्मण" कहते हैं उनके साथ भी न जाने कई बर्षो से होते आ रहा है और इनकी गुहार शायद न कोई सुनता है ना ही कोई इसे मिटाने की कोई बेहतर प्रयास करते हुये देखा गया है।     आइये जानते है कि कौन है महापात्र या महापातर ब्राह्मण -   दरअसल पूर्वी उत्तर प्रदेश , बिहार , झारखंड तथा छतीसगढ के हिस्सों में हिंदू समाज में मृत्यु के बाद होने वाले कर्मकांड में एक विशेष रिति रिवाज है कि व्यक्ति के मृत्यु के 10 वें ,11 वें दिन एक खास ब्राह्मणों को बुलाकर उन्हें ...

"ईश्वर के दिन रात और वर्ष महिने की गणना"

  "ईश्वर के दिन रात और वर्ष महिने की गणना" क्या यह पता है कि ईश्वर के दिन रात और वर्ष महिने अगल होते हैं ? क्या यह अंतर जानते हैं कि ब्रह्मा जी के आयु गणना इन सब तरिका से भिन्न होता है और उनकी आयु कितनी हैं ? आईए जानते हैं - सहस्रयुगपर्यन्तमहर्यद्ब्रह्मणो विदुः। रात्रिं युगसहस्रान्तां तेऽहोरात्रविदो जनाः।। जो मनुष्य ब्रह्माके एक हज़ार चतुर्युगीवाले एक दिनको और सहस्त्र चतुर्युगीपर्यन्त एक रातको जानते हैं, वे मनुष्य ब्रह्माके दिन और रातको जाननेवाले हैं। अब गणना बताते है- सत्य, त्रेता, द्वापर और कलि-मृत्युलोक के इन चार युगको एक चतुर्युगी कहते हैं। ऐसी एक हजार चतुर्युगी बीतने पर ब्रह्माजी का एक दिन होता है और एक हजार चतुर्युगी बीतने पर ब्रह्माजी की एक रात होती है। दिन-रात की इसी गणनाके अनुसार सौ वर्षों की ब्रह्माजी की आयु होती है। ब्रह्माजी की आयु के सौ वर्ष बीतने पर ब्रह्माजी परमात्मा में लीन हो जाते हैं और उनका ब्रह्मलोक भी प्रकृति में लीन हो जाता है तथा प्रकृति परमात्मा में लीन हो जाती है। अब आईए आपको समान्य दिन रात गणना से क्रमबद्ध चतुयुर्गी बताते हूए ब्रह्मा जी के दिन रात तक...

ततैया/पीला बर्रे/ बिरनी की कहानी

हमारे गाँव में पहले ततैया बहुत रहते थे कारण कि अधिकांश लोगों का घर घास-फूस का होता था और वहा यह किसी कोने मे या लकड़ी के आलमारी या पलंग के कोना में अपना घर बनाते थे  हमारे यहाँ इसको बिरनी (भोजपुरी में) कहते हैं और इसके काटने से बहुत तेज दर्द शरीर सुज या बुखार भी हो जाता है।  हम गांव में अगर किसी के घर में या कही कोई आने जाने जगह पर ततैया/बिरनी का छाता बन जाता था तो पूरे गांव को पता होता था कि फलाने के यहाँ या फलाने जगह बिरनी का छाता बना है सावधान रहना और बच्चों को जाने मत देना। जहाँ छाता होता था वहाँ बच्चों का जाना दो कारण से मना था, एक बच्चों को बिरनी काट लेगी और दुसरा बच्चे शरारती होते हैं तो वो छाता पर पत्थर फेक के छाता तोड़ सकते हैं।  लेकिन एक दिन बिरनी/ततैया का झुंड एक आदमी को बुरी तरह काट लिया और वो बहुत बीमार हो गये उनका गलती यह था कि उनके लाठी से भूल वस ततैया के छाता मे लगने से टूट गया था और उससे ततैया सब उनपर आक्रमण कर दिया था।  इसके बाद वो आदमी बहुत चिढ़ता था ततैया देख और मारने के प्रयास में लगा रहता था  फिर उसे एक कोई दुसरे जगह का आदमी से एक उपाय मिला...

सिवान के जैसे मिर्जापुर की भी बदनामी

आज के नौजवान से अगर बात करीएगा तो 100 से 90 लोग सिवान जिला के बारे में पहले नहीं जानते होंगे या फिर यह बोलिए कि शाहबुद्दीन जहाँ का है वो शहर फिर बोलेंगे अच्छा वह सिवान जिला हैं।  अगर उन्हीं लोगों से पुछीएगा कि भारत के प्रथम राष्ट्रपति के जिला का नाम क्या है तो अधिकतर लोग बोलेंगे कि पता नहीं तो एक दो बोलेंगे कि जीरादेई में वो पैदा हुए थे पर लगभग युवा पीढ़ी नहीं जानती  है कि सिवान जिला के ही प्रथम राष्ट्रपति डां० राजेन्द्र प्रसाद हैं। यह बात ऐसे प्रचलित नहीं हो जाती और महापुरुष का नाम उस स्थान से मिट जाता है और लोग कुख्यात या असभ्य बातों से किसी क्षेत्र या जिला को पहचानने लगते हैं, दरअसल इसके पीछे एक दूषित तथा देशविरोधी विचारधारा है जो लगातार ऐसे बातों को लिखते रहते हैं या किसी न किसी चलचित्र के माध्यम से दिखाते रहते हैं और धीरे धीरे समान्य जनमानस उस क्षेत्र को कुख्यात या असभ्य बातों से पहचानने लगता है।  इसी प्रकार एक नया बेबसीरीज के माध्यम से मिर्जापुर के ऐतिहासिक भूमि को आपराधिक, व्यभिचारी क्षेत्र के रूप में पहचान बनाने में लगे हैं और अब शायद देश, दुनिया मिर्जापुर को इसी ...