माँ चामुण्डा -शिवदूती पराक्रम
शुम्भ और निशुम्भ के प्रस्तावों को ठूकरा कर जब माँ कौशिकी ने अपने शर्त रखे तो दैत्यराज शुम्भ ने अपने कोटी कोटी सेना भेज कर माँ से युद्ध कराये। प्रारम्भ में ध्रुमलोचन दैत्य साठ हजार असुरो की सेना लेकर देवी से युद्ध करने गया तब अम्बिके के 'हुं' उच्चारण मात्र से ही ध्रुमलोचन और उसकी सेना को भस्म कर दिया। ध्रुमलोचन और उसकी सेना का संहार सुन दैत्यराज शुम्भ क्रोधित हुआ और चण्ड-मुण्ड को आदेश दिया कि बड़ी से बड़ी सेना ले जाओ और उस स्त्री को परास्त करके उसका झोटा पकड़ के मेरे पास लाओ। आज्ञा अनुसार चण्ड-मुण्ड विशाल सेना लेकर हिमालय गये माँ कौशिकी से युद्ध करने। तब अम्बिका देवी ने बड़े क्रोधित होकर विशाल और विकराल रूप धारण कर कालिकादेवी ने बड़े बड़े दैत्यों का भक्षण करने लगी। यह देख चण्ड-मुण्ड ने देवी के तरफ दौडे़, फिर देवी ने 'हं' का उच्चारण करके दोनों का मस्तक काट दी। तदन्तर काली ने दोनों राक्षसो के मस्तक लेकर बोली हे! देवी देखो मैने दोनों का वध कर दिया। तब माँ चण्डिके ने काली से मधुर वाणी मे कहा 'देवी! तुम चण्ड-मुण्ड को मेरे पास लाई हो इसलिए संसार में चामुण्डा ...